(चित्राभार इन्टरनेट)
मन का घट खाली पड़ा,पथ पनघट इक ठौर,
जो पाटे पथ कंकरी,तृप्त हृदय नहि और।
भौतिकता व्याकुल करे,चैन कहीं ना आए,
पनघट मोरे राम जी,व्याकुलता मिट जाए।।
सब मिल पनघट को चलीं,बतियावैं चित खोल,
दुख-सुख कह लेती सभी,पल कितने अनमोल।।
पनिया भरने को चली,गोरी रूप सजाय,
साजन पनघट पर खड़े,लाज नयन झुकि जाए।
पनिया से भरी गगरी,सिर पर लिए उठाय,
पनघट से चलि सांवरी,श्याम जिया भरमाए।
मन का घट खाली पड़ा,पथ पनघट इक ठौर,
जो पाटे पथ कंकरी,तृप्त हृदय नहि और।
भौतिकता व्याकुल करे,चैन कहीं ना आए,
पनघट मोरे राम जी,व्याकुलता मिट जाए।।
सब मिल पनघट को चलीं,बतियावैं चित खोल,
दुख-सुख कह लेती सभी,पल कितने अनमोल।।
पनिया भरने को चली,गोरी रूप सजाय,
साजन पनघट पर खड़े,लाज नयन झुकि जाए।
पनिया से भरी गगरी,सिर पर लिए उठाय,
पनघट से चलि सांवरी,श्याम जिया भरमाए।
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