बुधवार, 28 मार्च 2018

अधर ना डोलें,,,,,एक गीत,,

                       (चित्राभार इंटरनेट)

अधर ना डोलें
दो नैना बोलें
भावों के भौंरें
मन कलियां खोलें

प्रेम की वाणी
मौन की भाषा
भरे भौन बिच
पियमन टोहलें
अधर ना डोलें
दो नैना बोलें,,,

रात्रि तिमिर में
जुगनू चमके,
जब प्रीतभरे दो,
दृग अमृत खोलें
अधर ना डोलें
दो नैना बोलें,,

सुर सरगम छेड़ें
धड़कन की स्पंदन
मधुस्पर्श तुम्हारा
भंग रंध्रों में घोलें
अधर ना डोलें
दो नैना बोलें,,

कनक कनकती
काया स्वर्णिम
रोम-रोम सब
पियु का होले
अधर ना डोलें
दो नैना बोलें,,

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