(चित्राभार इन्टरनेट)
हृदय कुंड में प्रेम सरीखे ,
जल की अविरल धारा है ।
भाव समर्पण के पुष्पों से,
निज जीवन तुम पर वारा है।
तुम कहते हो मैं बँट जाऊँ,
व्यवहार कुशलता दिखलाऊँ।
तो सुन लो सिरजन हार मेरे!
यह बात तुम्हारी ना रख पाऊँ।
कोई प्रस्तर खंड सी धंसी हुई,
हिल जाऊँ तनिक ना गवारा है।
भाव समर्पण के पुष्पों से,
निज जीवन तुम पर वारा है।
जलधार हुई कभी बाधित तो,
अश्रुधारा से उसको भर दूँगीं।
प्रीत सुमन सब रहे सुवासित,
मन बंसत क्षणों से भर लूँगीं।
व्यथित हृदय ,रूधिर कंठ हो,
सब कुछ मन ने स्वीकारा है।
भाव समर्पण के पुष्पों से,
निज जीवन तुम पर वारा है।
हृदय कुंड में प्रेम सरीखे,
जल की अविरल धारा है।
भाव समर्पण के पुष्पों से,
निज जीवन तुमपे वारा है।
🌺🍃🌺🍃🌺🍃🌺🍃🌺
🌺लिली 🌺
हृदय कुंड में प्रेम सरीखे ,
जल की अविरल धारा है ।
भाव समर्पण के पुष्पों से,
निज जीवन तुम पर वारा है।
तुम कहते हो मैं बँट जाऊँ,
व्यवहार कुशलता दिखलाऊँ।
तो सुन लो सिरजन हार मेरे!
यह बात तुम्हारी ना रख पाऊँ।
कोई प्रस्तर खंड सी धंसी हुई,
हिल जाऊँ तनिक ना गवारा है।
भाव समर्पण के पुष्पों से,
निज जीवन तुम पर वारा है।
जलधार हुई कभी बाधित तो,
अश्रुधारा से उसको भर दूँगीं।
प्रीत सुमन सब रहे सुवासित,
मन बंसत क्षणों से भर लूँगीं।
व्यथित हृदय ,रूधिर कंठ हो,
सब कुछ मन ने स्वीकारा है।
भाव समर्पण के पुष्पों से,
निज जीवन तुम पर वारा है।
हृदय कुंड में प्रेम सरीखे,
जल की अविरल धारा है।
भाव समर्पण के पुष्पों से,
निज जीवन तुमपे वारा है।
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🌺लिली 🌺
भाव को शब्दों में पिरोया नहीं गया है बल्कि शब्दों में भाव को भर दिया गया है इसीलिए यह कविता पढ़ते समय प्रत्येक शब्द अपनी मिठास और जायका को बखूबी अभिव्यक्त कर रहे हैं। अति कुशलतापूर्वक शब्दों का संयोजन किया गया है। कविता पूरे उल्लास से निखर गयी है। इस कविता ने हिंदी साहित्य के छायावादी रचनाओं की याद दिला दी। एक सुंदर, सुघड़ और सशक्त तेवर वाली कोमल रचना।
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