मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017

बेसबब बेवजह की ये बातें

                        (सोचा आज अपनी ही फोटो लगा दूँ😀)


बेसबब बेवजह की ये बातें
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बस तुमको रोके
रखने के खातिर
बुनती हूँ कितनी
बातों की महफिल
बेवजह,बेअदब
बेसबब हैं ये बातें,,
तुम्हे भी कभी तो
थकाती हैं ये बातें,,,

कहाँ तुम संग
कोई गृहस्थी है मेरी
एक बादल के टुकड़े
सी हस्ती है मेरी
फिर कहाँ से लाऊँ मैं
सागर सी बातें
कभी खत्म ना होने
वाली वो बातें,,,

जीवन का साथी
बनकर के चलना
पथ की धूप-छांवों
में जलना-सम्भलना
वो पूजा की वेदी पर
साथ मंत्रों का पढ़ना
कुछ भी तो नही है
जिसका दंभ भर लूँ
फिर क्या तर्क छेड़ूँ?
मै क्या बात कर लूँ?

बड़ी अनबुझी
पहेली से ये रिश्ते
खामोश रातों में
चीखते से ये रिश्ते
नही कोई मंज़िल
नही कोई ठिकाना
बस चले जारहे हैं
गुमराह से ये रिश्ते
आनंद देती हैं बस
बंधनों की ये बातें
समाज की मोहरों
पर खरे उतरते
संबन्धों की बातें

खत्म करना भी
चाहूँ तो लिपटती
बहुत हैं, झटकना
भी चाहूँ तो चिपटती
बहुत हैं,,,
बेसबब, बेअदब
बेवजह की ये बातें,,,,,,,।

लिली 😊

4 टिप्‍पणियां:

  1. कविता में एक ज़िद है। सम्पूर्णता को अपना बनाना एक प्रबल चाह है। यह एक स्वाभाविक मानवीय क्रिया है। कवियत्री ने क्रमिक ढंग से स्वाभाविक रूप से मानवीय अभिलाषाओं की विभिन्न छटाओं को कुशलतापूर्वक प्रस्तुत किया है। कविता में "बेसबब, बेअदबी, बेवजह की ये बातें" नकारात्मक स्वरूप कविता को कहीं निराशावाद की ओर मोड़ती है।

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  2. बेसबब बेअदब बेवजह की ये बातें
    कभी दिल से कभी दिमाग से दंभ भरती ये बातें
    बहुत सही लिखा जैसे मेरे ही मन की व्यथा कह डाली।
    ना जाने क्यों घंटो पहर बतियाना और बात जल्दी ख्तम ना हो। अरे हाँ घंटो बाद भी लगता है जल्दी 😄
    छोड़ तेरी कविता पर टिप्पणी की जगह एक और कविता छप जायेगी यहाँ 😄
    सखी सुन लिखती रहा कर😘

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  3. गीतांजली जी जीवन में कोई भी बात बेसबब, बेअदबी और बेवजह नहीं होती है। सबब होता है वरना कोई किसी से बात क्यों करेगा। कोई किसी से यूं ही नहीं बातें करता। यात्रा करते समय या प्रतीक्षा करते समय व्यक्ति यदि किसी अजनबी से भी बातें करता है तो उसका सबब एकाकीपन दूर करना होता है और समय की बिताना होता है। हमेशा एक समझदार व्यक्ति दूसरे से अदब से ही पेश आता है। बेवजह तो एक पत्ता तक नहीं हिलाता। लिली जी की कविता बेहद प्यारी है किंतु अंत में कविता में निराशा छा जाती है। मुझे कविता का अंतिम भाग पढ़ते समय हैरानी हुई। एक इतनी प्यारी कविता में निराशा है। जो संपर्क में है वह जीवंत है जो जीवंत है उसमें भावों के विभिन्न स्पंदन हैं जहां स्पंदन है वहां ज़िन्दगी का चंदन है। चंदन शीतल और सुगंधित फिर कविता अंत में अपना विश्वास अपना आस और जीवन खास के प्रति नकारात्मक अभिव्यक्ति कैसे कर दी। यही बात और भी कई लोगों ने लिली जी के टाईमलाईन पर की है। जीवन में पग-पग पर खुशियां और उल्लास है। लिली जी की यह सुंदर कविता अंत में अचानक एक अलग अंदाज पकड़ ली टी मन बोल पड़ा कविता अंत में निराशावाद की ओर मुड़ गयी है।

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