शुक्रवार, 8 जून 2018

इसको भी बारिश कहते हैं,,,

                       (चित्राभार इन्टरनेट)


जब तपते मन के सूखे पोर
भर जाएं पाकर प्रेमिल झकझोर
बोझिल नयनों के तकते कोर
तर जाएं आंसुओं से सूने छोर
इसको भी बारिश कहते हैं
सब बांध तोड़ झर बहते हैं!!

ओसार में गिरते बूँदों के शोर
टप टप का नर्तन होता चहूँओर
खिड़की से आती बौछारें पुरजोर
मन फिर भी प्यासा ताके तुझओर
इसको भी बारिश कहते हैं,,
जो भींग के भी प्यासे रहते हैं!!
~लिली🌿

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