(चित्राभार इंटरनेट)
लल्ला के किलकारी से,
गूजै वारी है फुलवारी,,
जा हो सखि री! मथ लै माखन,,
आवन वारे हैं त्रिपुरारी,,,,
भाद्रपद की अष्टम् तिथि है,
मंगल, आनंद लिए शुभकारी
बंसी की धुन पर नाचेगी धरणी,
आवन वारे हैं बंसी धारी,,,
उमड़-घुमड़ रहे घन अकुलाएं
बरखा गोपिन सी मतवारी,,
प्रेम के होरी फिर से होइ हैं,,,
आवन वारे हैं किशन मुरारी,,,
लल्ला के किलकारी से,
गूजै वारी है फुलवारी,,
जा हो सखि री! मथ लै माखन,,
आवन वारे हैं त्रिपुरारी,,,,
भाद्रपद की अष्टम् तिथि है,
मंगल, आनंद लिए शुभकारी
बंसी की धुन पर नाचेगी धरणी,
आवन वारे हैं बंसी धारी,,,
उमड़-घुमड़ रहे घन अकुलाएं
बरखा गोपिन सी मतवारी,,
प्रेम के होरी फिर से होइ हैं,,,
आवन वारे हैं किशन मुरारी,,,
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