रविवार, 10 सितंबर 2017

मै गीत हूँ उसके लिए,,,

                        (चित्राभार इन्टरनेट)

मै गीत हूँ
उसके लिए
मेरे हर
अंदाज़ को
जबतक वो
गुनगुनाता नही
उसे चैन आता नही

मै ठहर हूँ
उसके लिए
सरसरी नज़र
से मुझे देखकर
उसको सुकून
आता नही,,,,,

किसने कहा
कि मेरा प्यार
सहज है उसके लिए,,?
मुझे पढ़ना होता है,,
मुझको जीना होता है,,
मुझे घोल कर पीना होता है,,
तब कहीं जाकर
नसों में मै प्रवाहित
होती हूँ, लहू की तरह,,,

वो कहता है मुझसे-
 "बोलती हो न,
 मन की बोला करूँ,,
प्यार हो ईश्वरीय अनुभूति
के मानिंद
पर हमेशा नही बोलता"
गहनतम अनुभूति हूँ
मै उसके लिए
नाद स्वर कभी कभी
ही प्रस्फुटित होता है,,,,,,,

1 टिप्पणी:

  1. गहनतम अनुभूति का इतना सहज चित्रण। प्रत्येक पंक्ति में प्रीत का स्पष्ट स्पंदन है। सुंदर रचना।

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