(चित्राभार इन्टरनेट)
शाम संवर के सीढ़ियों ,
से,ख्वाब सी उतर रही,
दीदारे यार आखिरी ,
पायदान पर टकरा गया।
वो एक झलक ठगी हुई,
धड़कनों को भड़का दिया,
सांसे थमीं ,पलके झुकीं,
वो लम्हा वहीं पथरा गया।
शाम जाम सी बोतल में बंद,
खुद को बहुत सम्भाले हुए,
ज्यों ज्यों ढली पैमाने में वो,
महफिल का रंग जमता गया।
इश्क था कुछ बंधा बंधा,
रहा कनखियों से झांकता,
शाम तो बस बहक उठी,
नशे का जश्न चढ़ता गया।
नही भुलती वो करीबियां,
जो दूर होकर भी पास थीं,
वो गुज़र रहा था करीब से,
और जिस्म को पिघला गया।
वो शाम-ए- इश्क वस्ल की,
फिर आज पैमानों में ढल गई,
नशा आज भी उसी जोश में,
मेरी रूह तलक़ बहका गया।
शाम संवर के सीढ़ियों ,
से,ख्वाब सी उतर रही,
दीदारे यार आखिरी ,
पायदान पर टकरा गया।
वो एक झलक ठगी हुई,
धड़कनों को भड़का दिया,
सांसे थमीं ,पलके झुकीं,
वो लम्हा वहीं पथरा गया।
शाम जाम सी बोतल में बंद,
खुद को बहुत सम्भाले हुए,
ज्यों ज्यों ढली पैमाने में वो,
महफिल का रंग जमता गया।
इश्क था कुछ बंधा बंधा,
रहा कनखियों से झांकता,
शाम तो बस बहक उठी,
नशे का जश्न चढ़ता गया।
नही भुलती वो करीबियां,
जो दूर होकर भी पास थीं,
वो गुज़र रहा था करीब से,
और जिस्म को पिघला गया।
वो शाम-ए- इश्क वस्ल की,
फिर आज पैमानों में ढल गई,
नशा आज भी उसी जोश में,
मेरी रूह तलक़ बहका गया।
खयाल में मिला सम्मान की चुस्कियां
जवाब देंहटाएंजाम भी प्रणाम कर संग हो हस्तियां
घूंट अकेले में तन्हाई को दे गहराई
अनुभूति की कॉकटेल में मस्तियाँ ही मस्तियाँ।
बहुत खूब।
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