गुरुवार, 7 सितंबर 2017

गप्पू गणपति

                       (चित्राभार इंटरनेट)

   
बालकविता
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गप्पू गप्पू गंग गणपति।
भोले भाले गंग गणपति।।

भोग लगें जब मोदक के।
जम के खाएँ मन भर के।।


प्रेम भाव विघलित करता।
प्रभु हृदय विचलित करता।।


भक्तों की भक्ति पर कुर्बान।
दिए प्रसन्न हो अक्षुण्ण वरदान।।

आया जब जाने का दिन।
छिप गए सबको बोले बिन।।

मन मोदक पर अटक गया।
साल प्रतीक्षा,मुँह लटक गया।।

प्रिय मोदक और मूषक संग।
चले गणपति गंग गंग गंग।।

बोलो सब मिल एकसुर ताल।
जल्दी आना फिर अगले साल।।

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