सोमवार, 15 जनवरी 2018

मन के हारे हार है,,,

                         (चित्राभार इन्टरनेट)

बनी बेड़ियां रीतियाँ
कैसे पनपे प्रीत,
मन के हारे हार है,
मन के जीते जीत।।

कौन बजाए बाँसुरी,
कौन सुनाए गीत।
मुरझाई कलियाँ सभी
आवे नहि मनमीत।।

मन के हारे हार है
मन के जीते जीत,,,,

सुर नहि पकड़े ढोलकी,
तुक नहि बने सटीक।
तालों की लय भागती,
रूठा  है संगीत।।

मन के हारे हार है
मन के जीते जीत।

मधुमासी वसुधा सजी
उठे जिया मे टीस ।
मन की ऋतुएं हो रही,
सकुचाई सी शीत।।

मन के हारे हार है,
मन के जीते जीत।।

लिली मित्रा 🌷

1 टिप्पणी:

  1. मन के हारे हार मन के जीते जीत😍
    खूब कही सखी...पर जिया की टीस से पार कैसे पाये और इस सुंदर तेरी टिप्पणी से बाहर कैसे जायें।
    आप ज़रा कोई तो उपाय बतायें😍

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