(चित्राभार इन्टरनेट)
घपलू-गपलू भोलू जी,
जाते हैं स्कूल को जी।
मोज़े,टोपी कोट पहन,
करते भारी बैग वहन।
गाल हैं फूले आंखे गुम,
चिन्ता में क्यों खोए तुम।
साथी करते चटर पटर,
भोलू जी को नही खबर।
सुबह उठा देती हैं मम्मी,
भूले सब जीवन की नरमी।
याद बहुत आए रजाई,
टीवी, टाॅफी,चाॅको पाई।
मस्ती भूल स्कूल है जाना,
छुट्टी का ना मिले बहाना।
पापा को ऑफिस की टेंशन,
उलझा घर में मम्मी का मन।
भोलू का दुख समझे कौन?
खोई आंखें,मासूम सा मौन।
बालकविता
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जाते हैं स्कूल को जी।
मोज़े,टोपी कोट पहन,
करते भारी बैग वहन।
गाल हैं फूले आंखे गुम,
चिन्ता में क्यों खोए तुम।
साथी करते चटर पटर,
भोलू जी को नही खबर।
सुबह उठा देती हैं मम्मी,
भूले सब जीवन की नरमी।
याद बहुत आए रजाई,
टीवी, टाॅफी,चाॅको पाई।
मस्ती भूल स्कूल है जाना,
छुट्टी का ना मिले बहाना।
पापा को ऑफिस की टेंशन,
उलझा घर में मम्मी का मन।
भोलू का दुख समझे कौन?
खोई आंखें,मासूम सा मौन।
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