मंगलवार, 2 जनवरी 2018

यूँ सताया ना करो,,

                      (चित्राभार इन्टरनेट)

मेरी हर शिकायत पर यूँ मुस्कुराया ना करो,
दिल जलता है बड़ा देखो यूँ सताया ना करो।

खिलता कंवल हूँ कभी जी भर के तो देख,
बेरूखी की तपिश से इसे यूँ सुखाया ना करो।

शब्दों की फुहार से एहसासी चमन ना खिला,
जज़्बातों की आंधी में कसक यूँ बहाया ना करो।

करीब बैठों कभी कांधों पर सिर टिकाऊँ मैं,
रूहानी दलीलें दे मुझे, यूँ बहकाया ना करो।

किताबों में सुखे गुलाब सी नज़र आए ये मुहब्बत,
दिली किताब में ताज़े फूलों को यूँ दबाया ना करो।

1 टिप्पणी:

  1. इतनी खूबसूरती से भाव सजाया न करो
    पाठकों को लिली लहर में बहाया न करो
    उम्दा शब्द चयन, बेहतरीन अभिव्यक्तियाँ
    पाठकों की नींद को यूं उड़ाया न करो।

    सुंदर रचना। खूबसूरत।

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