बुधवार, 24 जनवरी 2018

तुम,,,,

                      (चित्राभार इंटरनेट)


कश्ती की पतवार बने तुम,
साजन हिय के हार बने तुम।
सपन सलोने  तितली बनते,
जीवन का आधार बने तुम।

मै नदियां सी बहती जाऊँ,
प्रीत लहर सी लहरी जाऊँ।
मेरी  जलधारा  के सागर ,
मै सोच समागम इठलाऊँ।
मेरे    पारावार   बने  तुम।
जीवन का आधार बने तुम।।

प्रेमदीप, हिय कमल धरा है,
लोचन-अंजन आस भरा है।
प्रिय आकर  बाहें  थामेगें,
अंतस मे मधुमास भरा है।
सौरभ का संचार बने तुम।
जीवन का आधार बने तुम।।

खोलो हिरदय के पाश सभी,
प्रणय की बाँधलो गांठ अभी।
शशि की सोलह लिए कलाएँ,
फिर सुर के झनके राग सभी।
वीणा की झंकार बने तुम।
जीवन का आधार बने तुम।।

रजनी के भरतार बने  तुम,
कश्ती की पतवार बने तुम।
मेरे     प्राणाधार   बने तुम,
जीवन के आधार बने तुम।

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