(चित्राभार इन्टरनेट)
ज़िन्दगी
के दांव
बड़े झोलिदा
निकले,,,,
खुद को
मीर समझते थे
जो,
किस्मती कफ़स
में कैद,
शतरंजी
प्यादा निकले,,
नाशिनास
बड़े,
सोचते हैं,
उफ़क
रंगीन है
उनके दम से,
अफसोस ज़ेहन
के बड़े
कमतर निकले,,
ख़ुद से
अग्यार
ग़ैरों को
ऐयाश
कहते हैं,
उनसे कहो,
ऐब़ अपने
झांककर निकलें,,
कमज़ोर पर
उक़ूबत कर
सिकन्दर ना बन,
वही पाता है
नुसर्त,,
जो सबको
गले लगाकर
निकले,,
लिली 😊
ज़िन्दगी
के दांव
बड़े झोलिदा
निकले,,,,
खुद को
मीर समझते थे
जो,
किस्मती कफ़स
में कैद,
शतरंजी
प्यादा निकले,,
नाशिनास
बड़े,
सोचते हैं,
उफ़क
रंगीन है
उनके दम से,
अफसोस ज़ेहन
के बड़े
कमतर निकले,,
ख़ुद से
अग्यार
ग़ैरों को
ऐयाश
कहते हैं,
उनसे कहो,
ऐब़ अपने
झांककर निकलें,,
कमज़ोर पर
उक़ूबत कर
सिकन्दर ना बन,
वही पाता है
नुसर्त,,
जो सबको
गले लगाकर
निकले,,
लिली 😊
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें