संदल की महक है
तुम्हारा प्यार,,
घुल हवाओं में
सांसों को करता
है बेकरार,,,
शबनम की नमीं सा
भीगा-भीगा है,
तुम्हारा एहसास,,
इक मीठी सी
तड़प देकर
बढ़ाता है प्यास,,,
आवारा हवाओं सी
अल्हड़ है,
तुम्हारी याद,,,,
बिखरा देती है
मेरी ज़ुल्फों को
करती है बेताब,,,
बेखुदी तुम्हारे
इश्क की,
करने लगी है
हदें पार,,,
तुम्हारी ही इक
धुन लगी,
नही याद मुझे, अब
महीना, दिन,साल,,,,,,❤
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