(चित्राभार इंटरनेट)
"भाभी आज कौन सा दिन है?"
ज़मीन, पर अपने कौतुहल को दबाते हुए,,बड़े अनमने ढंग से झाड़ू फेरते हुए हेमा ने सरिता से पूछा,,,।
सरिता ने यह सोचते हुए कि, यह गरीब इंसान क्या जानेगी के आज पूरा ज़माना प्रेमोत्सव में ढूब 'वेलनटाइन डे' मना रहा है,,,
जवाब दिया- "शिवरात्रि है आज",,।
सरिता के जवाब से संतुष्ट ना होते हुए हेमा ने फिर पूछा-- 'शिवरात्रि के अलावा क्या दिन है आज,,??'
बाहर वाली मैडम कि नई बहू आज पूरा घर 'दिल आकार के गुब्बारों से सजा रही हैं,,।
मैने पूछा उनसे तो खूब हंसीं,,, और कुछ अंग्रेजी में नाम बताया,,,,
तभी सरिता ने हंसते हुए जवाब दिया,,, वैलनटाइन डे !!!
हेमा के चेहरे पर भी एक हंसी की आभा फूट पड़ी और बोली-- " हाँ वही बे-ल-न-टा-इ ,,,पता नही मेरे तो मुँह से निकल भी नही रहा,,, बोलकर हंसने लगी ,,।
सरिता ने भी पूरे प्रसंग का आनंद लेते हुए बोला - " हाँ आज प्यार का दिन है,,,"
हेमा ने हंसते हुए अपनी कुर्ते की पाॅकेट से कुछ लाल-सफेद दिल आकार के गुब्बारे निकाल मुझे दिखाते हुए बोली,, -"नई वाली भाभी ने ये गुब्बारे मुझे भी दे दिए,,
बोली हैं- 'तुम भी लगा लेना',,, और अपने पति को भी -"है-प्-पी,, बे-ल-न-टा-इ -डे बोल देना,,,,,,
बोल हेमा थोड़ा लजाते हुए हंस दी।
फिर हेमा नई भाभी से प्राप्त 'बे-ल-न-टा-इ दिन की हतप्रभ करती विशिष्टताओं को बड़े उत्साह के साथ बताने लगी,,,।
"भाभी बोल रही थी-" आज के दिन गुलाब बहुत महंगें मिलते हैं,, एक गुलाब,, 50- 60 से कम नही,,और कैसे उसकी बाहर वाली मैडम की नई पुत्रवधु,, नानाप्रकार के 'प्रेमसूचक सजावट समाग्रियों से घर सजा रही थी।
सरिता पूरे वृत्तांत को बड़ी रोचकता के साथ सुन कर आनंदित हो रही थी।
सरिता ने पूरे प्रंसग का मज़ा लेते हुए थोड़ा हेमा को छेड़ते हुए उससे पूछा-
' तो हेमा,,तुम ये गुब्बारे अपने घर पर सजाओगी,,?"
"अब नई वाली भाभी दीं हैं इतने गुब्बारे ,,, तो घर जा कर मै भी सजा लूँगीं ,,,,
रोज़ कि वही घिसी-पिटी कामकाजी भागदौड़ से ऊबी उसकी आत्मा,,,क्षणिक ही सही परन्तु एक आकर्षण पूर्ण नवीन पल को जीने के मनोभाव को छुपाने का प्रयास करते हुए,,बड़ा भोला सा जवाब दे गई,,।
सरिता ने भी उसके मन को भांपते हुए ,हल्के से मुस्कुराते हुए कहा-"हाँ अब दिया है तो सजा लेना",,, और अपना काम करने किचन में चली गई।
****समाप्त****
"भाभी आज कौन सा दिन है?"
ज़मीन, पर अपने कौतुहल को दबाते हुए,,बड़े अनमने ढंग से झाड़ू फेरते हुए हेमा ने सरिता से पूछा,,,।
सरिता ने यह सोचते हुए कि, यह गरीब इंसान क्या जानेगी के आज पूरा ज़माना प्रेमोत्सव में ढूब 'वेलनटाइन डे' मना रहा है,,,
जवाब दिया- "शिवरात्रि है आज",,।
सरिता के जवाब से संतुष्ट ना होते हुए हेमा ने फिर पूछा-- 'शिवरात्रि के अलावा क्या दिन है आज,,??'
बाहर वाली मैडम कि नई बहू आज पूरा घर 'दिल आकार के गुब्बारों से सजा रही हैं,,।
मैने पूछा उनसे तो खूब हंसीं,,, और कुछ अंग्रेजी में नाम बताया,,,,
तभी सरिता ने हंसते हुए जवाब दिया,,, वैलनटाइन डे !!!
हेमा के चेहरे पर भी एक हंसी की आभा फूट पड़ी और बोली-- " हाँ वही बे-ल-न-टा-इ ,,,पता नही मेरे तो मुँह से निकल भी नही रहा,,, बोलकर हंसने लगी ,,।
सरिता ने भी पूरे प्रसंग का आनंद लेते हुए बोला - " हाँ आज प्यार का दिन है,,,"
हेमा ने हंसते हुए अपनी कुर्ते की पाॅकेट से कुछ लाल-सफेद दिल आकार के गुब्बारे निकाल मुझे दिखाते हुए बोली,, -"नई वाली भाभी ने ये गुब्बारे मुझे भी दे दिए,,
बोली हैं- 'तुम भी लगा लेना',,, और अपने पति को भी -"है-प्-पी,, बे-ल-न-टा-इ -डे बोल देना,,,,,,
बोल हेमा थोड़ा लजाते हुए हंस दी।
फिर हेमा नई भाभी से प्राप्त 'बे-ल-न-टा-इ दिन की हतप्रभ करती विशिष्टताओं को बड़े उत्साह के साथ बताने लगी,,,।
"भाभी बोल रही थी-" आज के दिन गुलाब बहुत महंगें मिलते हैं,, एक गुलाब,, 50- 60 से कम नही,,और कैसे उसकी बाहर वाली मैडम की नई पुत्रवधु,, नानाप्रकार के 'प्रेमसूचक सजावट समाग्रियों से घर सजा रही थी।
सरिता पूरे वृत्तांत को बड़ी रोचकता के साथ सुन कर आनंदित हो रही थी।
सरिता ने पूरे प्रंसग का मज़ा लेते हुए थोड़ा हेमा को छेड़ते हुए उससे पूछा-
' तो हेमा,,तुम ये गुब्बारे अपने घर पर सजाओगी,,?"
"अब नई वाली भाभी दीं हैं इतने गुब्बारे ,,, तो घर जा कर मै भी सजा लूँगीं ,,,,
रोज़ कि वही घिसी-पिटी कामकाजी भागदौड़ से ऊबी उसकी आत्मा,,,क्षणिक ही सही परन्तु एक आकर्षण पूर्ण नवीन पल को जीने के मनोभाव को छुपाने का प्रयास करते हुए,,बड़ा भोला सा जवाब दे गई,,।
सरिता ने भी उसके मन को भांपते हुए ,हल्के से मुस्कुराते हुए कहा-"हाँ अब दिया है तो सजा लेना",,, और अपना काम करने किचन में चली गई।
****समाप्त****
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