(चित्र इन्टरनेट से)
महीना-ए-अगस्त
आने को है जनाब
उठने को है देशप्रेम
का सोया सैलाब।
कोई व्हट्सऐप पर तिरंगे
की डी पी लगाएगा,
कोई फेसबुक पर देशभक्ति
का परचम लहराएगा
आज़ादी का जश्न हर कोई ,
ऑनलाइन मनाएगा।
'आई लव माई इंडिया' का नारा
अपने भाग्य पर इठलाएगा।
माॅलों मे 70% सेल का धमाल
अखबारों को चमकाएगा,,
सेल का फायदा हर ज़िम्मेदार
भारतीय जी खोलकर उठाएगा।
ट्रैफिक लाइटों पर तिरंगों
की बिक्री होगी ज़ोरो पर,
हर रेडियो चैनल देशभक्ति
के कसौटी पर श्रोताओं
को कसता नज़र आएगा।
15तारिख के बाद सारी देशभक्ति
रफूचक्कर हो जाएगी,
डीपियां फिर से अपनी वही
मदमाती अदा मे बदल जाएंगीं।
माॅलों मे लगे तिरंगी गुब्बारों
की हवा निकल चुकी होगी,
झालरों और स्लोगनों की
सजावट फटकर लटक चुकी होंगीं।
जहाँ-तहाँ सड़कों पर तिरंगे
पैरों के नीचे कुचल रहे होंगें,
रेडियों चैनल्स फिर से कुछ
फूहड़ गानों पर उछल रहे होंगें।
देशभक्ति का जज़्बा 26 जनवरी
तक के लिए फिर से सो जाएगा,
एक बार फिरआई लव माई इंडिया
का नारा धूम मचाएगा।
कितना आसान तो होता है देश के
प्रति दिखाना प्यार का परवान
फिर क्यों सरहदों पर पत्थर
खा रहे हैं हमारे जवान,,?
इतना कुछ है लिखने को
खौला रहा दिल मे उफान
कह देने मात्र से नही रुकेगा
मेरी विक्षिप्त भावों का तुफान,,
खैर आप सभी जश्ने आज़ादी
दिल खोल कर मनाइए
ऑनलाइन देशप्रेम के मैसेज
और डीपियों का सैलाब बहाइए।
महीना-ए-अगस्त
आने को है जनाब
उठने को है देशप्रेम
का सोया सैलाब।
कोई व्हट्सऐप पर तिरंगे
की डी पी लगाएगा,
कोई फेसबुक पर देशभक्ति
का परचम लहराएगा
आज़ादी का जश्न हर कोई ,
ऑनलाइन मनाएगा।
'आई लव माई इंडिया' का नारा
अपने भाग्य पर इठलाएगा।
माॅलों मे 70% सेल का धमाल
अखबारों को चमकाएगा,,
सेल का फायदा हर ज़िम्मेदार
भारतीय जी खोलकर उठाएगा।
ट्रैफिक लाइटों पर तिरंगों
की बिक्री होगी ज़ोरो पर,
हर रेडियो चैनल देशभक्ति
के कसौटी पर श्रोताओं
को कसता नज़र आएगा।
15तारिख के बाद सारी देशभक्ति
रफूचक्कर हो जाएगी,
डीपियां फिर से अपनी वही
मदमाती अदा मे बदल जाएंगीं।
माॅलों मे लगे तिरंगी गुब्बारों
की हवा निकल चुकी होगी,
झालरों और स्लोगनों की
सजावट फटकर लटक चुकी होंगीं।
जहाँ-तहाँ सड़कों पर तिरंगे
पैरों के नीचे कुचल रहे होंगें,
रेडियों चैनल्स फिर से कुछ
फूहड़ गानों पर उछल रहे होंगें।
देशभक्ति का जज़्बा 26 जनवरी
तक के लिए फिर से सो जाएगा,
एक बार फिरआई लव माई इंडिया
का नारा धूम मचाएगा।
कितना आसान तो होता है देश के
प्रति दिखाना प्यार का परवान
फिर क्यों सरहदों पर पत्थर
खा रहे हैं हमारे जवान,,?
इतना कुछ है लिखने को
खौला रहा दिल मे उफान
कह देने मात्र से नही रुकेगा
मेरी विक्षिप्त भावों का तुफान,,
खैर आप सभी जश्ने आज़ादी
दिल खोल कर मनाइए
ऑनलाइन देशप्रेम के मैसेज
और डीपियों का सैलाब बहाइए।
एक रचनाकार उन दिशा में लोगों का ध्यानाकर्षण करता है जिस ओर लोग अक्सर देखना भूल जाते हैं। आधुनिक युग में सरल हिंदी में लिख पाना भी कठिन है। लिली जी ने न केवल एक सामयिक राष्ट्रीय महत्वपूर्ण विषय को तार्किक एवं भावनात्मक अनुभूतियों से सराबोर किया है बल्कि डीपी अंग्रेजी संक्षेपाक्षर को डिपियाँ नाम देकर हिंदी भाषा में इस बहुवचनीय शब्द को सम्मिलित भी किया है।
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