(चित्र इन्टरनेट से)
घुल कर एक दूजे संग
हम बिसरावें पीर
मै शब्द बनूँ तुम गीत
ताल बिठा एक दूजे संग
हम बन जावें संगीत
मै दिया बनूँ तुम बाती
जलकर एक दूजे संग
हम चमकाएं राती
मै मोती बनूँ तुम धागा
बिथकर एक दूजे संग
हम गुथ जाएं माला
मै प्रीत बनूँ तुम रीत
प्रेम सिन्धु मे बहकर
हम बन जाएं मनमीत
स्वरचित*
लिली😊
प्रीत जब सघन और सरल बन जाती है तो कविता में कभी मीरा उभर आती हैं तो कभी राधा निखरआती हैं। राधा जैसा समर्पण भरा प्यार निश्चित ही कान्हा के लिए है। आधुनिक समय में ऐसे समर्पित आदरमयी प्यार को प्रणाम।
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