शनिवार, 1 जुलाई 2017

आज रंगने का मन कर रहा है,,

                        (चित्र इन्टरनेट से)

रंग को देखकर अक्सर मन उन्मादी हो उठता है,,और कुछ ऐसे एहसास उभर आते हैं,,,,
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आज लिखने का नही,
रंगने का मन कर रहा है।

किसी कोरे कैनवास पर,
रंगों को उड़ेलने का
मन कर रहा है।

हर रंग मे डूबों दूँ
अपनी पूरी हथेलियां,
उन्ही हथेलियों को
कैनवास पर सहलाने का
मन कर रहा है।

कौन सा रंग उठाऊँ पहले?
यह सोच कर नही,,,
बेसुध हो उनकी
चिकनाहट महसूस करने का
मन कर रहा है।

आंखें रंगों की रौनक
मे डूबती रहें,
मुझे बस इस रंगत से
खुद को रंगने का
मन कर रहा है।

रंग उड़ाने का मन
कर रहा है,
रंगों से भिगाने का
मन कर रहा है,,
काश मिला होता
तस्वीर बनाने का हुनर,,
आज मेरे महबूब को कैनवास पर
उतारने का मन कर रहा है।

फिर छूकर तेरी तस्वीर को
उसे हक़ीकत बना देती,
जी भर के चश्म-ए-क़रार को
जीने का मन कर रहा है।

हर तरफ रंग हों,
हर आरज़ू रंग हो,
एहसास रंग हों,
मै भी सतरंगी बन जाऊँ
खुद को ऐसा रंगने का
मन कर रहा है।

लिली मित्रा
#मेरीअभिव्यक्तियों से

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