रविवार, 9 जुलाई 2017

पल्लवी के प्यार मे😃😃

                             घटा सी लटा
                             मनमोहिनी अदा
                             सजन हैं फिदा
                             रूप यूँ खिला
                             बंसन्ती छटा




ये हैं हमारी
सखी पल्लवी
अली जी की
बगिया की कली

कहीं हमसे
छिंड़को कुछ
हमपर भी
काव्यमयी लड़ी

लिखने लगी थी
मिश्री की डली
कलम छिटककर
परे गिरी😜

कह सखी कैसे
रचूँ कोमल कविता
तू तो मिर्ची सी
तीखी बड़ी😃😃

दिल की है साफ
कहे कड़क बात
नही सहती ये
किसी की बकवास


झांसी की रानी
डराए खड़ी😜
बिगड़ गई
तो आफत बड़ी

खैर मना लिली
पल्लो के सामने
नही तू पड़ी
कर देती तेरी
खटिया खड़ी

जानेमन जानेमन
तू अपने आप मे
एक अनोखी लड़ी,
प्यारी बड़ी !!😘😘

सस्नेह लिली☺

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